गुज़रे अरसा हुआ, कभी तुम साथ थे, आज तन्हाई ने भी हाथ छोड़ा है, बस यों ही चल पड़े है राहों पर, काश! तुमसे फिर मुलाकात हो जाए। एक शायर ने कहा है उन्हीं रास्तों ने जिन पर कभी तुम थे साथ मेरे मुझे रोक रोक पूछा तेरा हम सफ़र कहाँ है.. बशीर बद्र हर किसी की ज़िंदगी इन्हीं पुरानी राहों से हो कर गुज़रती है। लिखें इस के बारे में। #पुरानीराहें