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क्या बात है दुनियादारी की, हर बात कोई व्यापार सी ह

क्या बात है दुनियादारी की, हर बात कोई व्यापार सी है 
दौलतवालों की ठोकर भी लगती सबको क्यूँ प्यार सी है 
क्यूँ अपना पराया भूल गए, एहसास जगाया भूल गए 
क्यूँ दर दर भटक रहा है मन, दिल का आज़माया भूल गए
निकले थे खुशी पाने के लिए और लौटे हो पाकर सिक्के 
सिक्कों से खरीदोगे खुशियां, क्या माँ का सिखाया भूल गए  📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏

💫Collab with रचना का सार..📖

🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों  को  प्रतियोगिता:-43 में स्वागत करता है..🙏🙏
*आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।

💫 प्रतियोगिता ¥43:- शायराना अल्फ़ाज़
क्या बात है दुनियादारी की, हर बात कोई व्यापार सी है 
दौलतवालों की ठोकर भी लगती सबको क्यूँ प्यार सी है 
क्यूँ अपना पराया भूल गए, एहसास जगाया भूल गए 
क्यूँ दर दर भटक रहा है मन, दिल का आज़माया भूल गए
निकले थे खुशी पाने के लिए और लौटे हो पाकर सिक्के 
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rahulsharma2371

Rahul Sharma

New Creator