इस भीड़ सी दुनिया में ना जाने कितने लगते मेले! शान शौक़ के हलचल में, हर कोई अकेले! जो राहत ढूँढने को निकलते हैं घर से, कमाने को पैसे बेच कर क़ीमती पल, खरीदते झूठे हमदर्द और बेच आते कई रिश्ते!! 🌝प्रतियोगिता-70 🌝 ✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️ 🌹"दुनिया के मेले"🌹 🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृप्या केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I