कितने हिसाब रखें, कितने ज़ख्म गिनें, बेहतर है चले जाना, बोहोत दूर कहीं। कत्ल, हादसा, खुदकुशी, जो चाहे बुला लो तुम इन्हें, हमें परवाह नहीं, जब हम वहां हैं ही नहीं।। पीठ पर खाए थे जो खंजर, बरसों पहले, ले चुके थे हमारी जान, वो अरसों पहले। होता है दर्द बेइंतहां, कहां कहां, क्या कहें, देख अपनी ही महफिलों में, रंजिशों के वो मेले।। यहां हर शख़्स में छिपा है, एक शख़्स बुजदिल, एक करता है साजिशें, एक नज़र आता है आदिल, मिलावट की इस दुनियां मेंं, डर सांसों का भी हो जाता है, जब दिखता अपनों में से ही कोई, अपना कातिल।। चुप चले गए कि नज़र ना आएं, कभी किसी को नहीं, ये दुनियां, हम जैसों के लिए, कभी बनीं ही नहीं। बेवकूफी, कायरी, बेबसी, जो चाहे बुला लो तुम इन्हें, हमें परवाह नहीं, अब हम वहां हैं ही नहीं।। #shaayavita #FakeLove #fakelife #fakefaces #kaatil #fakerelation #Man