नवरात्रि !! अनुशीर्षक मे पढें👇 हे मानव मै हतप्रभ हूँ तुम्हारी दुर्लभ माया से क्या क्या विचार उत्पन्न होंगे तुम्हारे कुंठित काया से ।। जिस नारी पर दृष्टि तुम्हारी गिद्ध स्वरूप रहती है जाने कैसे हृदय तुम्हारा