केवल मैं दोषी न था धर्मराज भी धर्म भूल गए जुए में द्रौपदी पर तो वो खुद ही दांव खेल गए सच ये है धर्मराज को खुद नारी का मान नहीं मैं तो दुर्योधन हूँ मुझे धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं अंधे का बेटा अंधा कह रखा उसने मान नहीं द्रौपदी ने धृतराष्ट्र का किया कभी सम्मान नहीं अपमान को सहन करता इतना मैं महान नहीं मैं तो दुर्योधन हूँ मुझे धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं मुझसे पांडव जीत जाते इतना था आसान नहीं विजित मैं होता गर होता कृष्ण का वरदान नहीं पांडवों ने भी युद्धनीति का रखा कभी मान नहीं मैं तो दुर्योधन हूँ मुझे धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं मैं सत्ता का अधिकारी करता क्यूँ अभिमान नहीं रणक्षेत्र से भाग जाना होता वीरों का काम नहीं छल से युद्ध जीत कर होता कोई महान नहीं मैं तो दुर्योधन हूँ मुझे धर्म-अधर्म का ज्ञान नहीं ©प्रकाश झा प्रचंड #दुर्योधन