जो ख़ुद की जान की बाजी लगा दीं गौरों को बचाने में वो अपनों को तन्हा छोड़ गए चँद यादों में बसने के लिए ना जाने वो लोग कितने मतवाले थें ।। नमस्कार लेखकों। हम अपने देश के नायकों के निस्वार्थ बलिदान को नहीं भूल सकते हैं, जो हमारे जीवन को सुरक्षित रखने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं। ऐसी ही एक भीषण घटना आज से 12 साल पहले हुई थी। 26/11 का मुंबई हमला।