मिलावट-ए-इत्र सा हम इश्क नहीं करते, ख्वाइस-ए-इश्क में सोचता हूं पूरी रात पर किसी को अपना चाँद नही कहते! काश!इश्क-ए-तालीम ले लेते तेरी सजती महफ़िलो में तो आज यूँ कोरे कागज पर तेरे चर्चे नही करते! ©Deepak shahi https://www.facebook.com/authorDeeps/ #अपनीसिसकियाँ