इक तेरे चेहरे से हमको दिल्लगी थी अब कोई चेहरा हमें भाता नही है। हम किसे दें दोष किसको क्या कहे किसको सुनाएँ जो तुम्हारे साथ गुजरे दिन उन्हे कैसे भुलाएं जीत सकते थे तुम्हारे साथ रहकर जग समूचा पर तुम्हारे बाद मन है हम सभी कुछ हार जाएं जान मेरी जिंदगी को इस तरह क्यों मोड़ जाना #पीयूष