#गुंज# मान लो सब कुछ भ्रम मात्र हो मैं तुम्हारे साथ मगर तुम मेरे ना हो सके हो पल छिन को भी ये ख्याल मुझे झकझोर सा जाता है बेचैनी घबराहट व्याकुलता सारे शब्द बौने पर जाते हैं फ़िर भी जीवन तो है अनवरत चलता रहता है अपनी निर्धारित गति सीमा से .....तुम्हें दोष देकर अपमानित कर खुद के ही प्रेम पर प्रश्नचिन्ह लगाकर अंकुर आखिर पा भी क्या सकूगा. #गुंज मान लो सब कुछ भ्रम मात्र हो मैं तुम्हारे साथ मगर तुम मेरे ना हो सके हो पल छिन को भी ये ख्याल मुझे झकझोर सा