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हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ है चौराहों पर लगा पहरा हु

हर जगह सन्नाटा पसरा हुआ है
चौराहों पर  लगा पहरा हुआ है
सड़कें गलियां सब सुनी हो गई
शहर का कैसा ये चेहरा हुआ है
शहर ही नहीं गांव भी परेशान है
शज़र की छांव भी हुई वीरान है
दूर तलक क्यूं कोई दिखता नहीं
आलम सूनेपन का गहरा हुआ है
अब मिलना किसीसे मुनासिब नहीं
घर से निकलना भी दूभर हुआ है
रिश्तेदारों के घर भी पाबंदियां हैं
जो जहां था वहीं पे ठहरा हुआ है
कैसी यह बिखरी हुई वादियां हैं
 भय के थपेड़ों की बसर आंधियां है
मौसम की लगती बदली फिजां है
चमन में ख़िजां का नजारा हुआ है
तस्वीर-ए-नजर पन्नों पे कैसे उकेरुं
ये जहान लगता बंद पिंजरा हुआ है
आवाजें देके हैरां हूं कोई सुनता नहीं
ज़माने में हर इंसां जैसे बहरा हुआ है

©रोहित मिश्रा 'हीरू' #ख़याल_ए_जज़्बात
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"विभर्षी" रंजेश सिंह "Benaam"~"अल्फ़ाज़" ARTIST VIPIN MISHRA VIP. Sanjay Tiwari "Shaagil" Satya

#ख़याल_ए_जज़्बात #corona_time #aalam #tasveer #Pinjra #Insaan "विभर्षी" रंजेश सिंह "Benaam"~"अल्फ़ाज़" ARTIST VIPIN MISHRA VIP. @Sanjay Tiwari "Shaagil" Satya

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