कुत्ता प्यारा लगा तो पुच्कारा, दुसरे का रंग भेद पसंद ना आया तो मारा, पक्षपात करते हो,फिर न्याय की बात करते हो, कैसे आइने मे खुद के अक्स से ऑखों मे ऑखें भरते हो? नस्ल नस्ल का फर्क करते हो,फिर जात पात के फर्क पे भाषण देते हो, बकरे को काट के,कुत्ते को घर का आधा राषन देते हो, देख के मैले दिलों को अब अक्स भी शर्म के मारे ओढ गया शोल है, read full poetry in caption Happy earth day please dont take it personal, just enjoy the poetry #RatNam “आखिर जानवर कौन है?” झटका हो या हो हलाल, खून का रंग तो आखिर रहेगा लाल, कही चिखें तो कही आहें, क्या उन्हें दर्द नहीं होता,क्या चलती नहीं उनकी सांसें? स्वाद भी एसा क्या? की जान भी अब छोटी लगे, खून पतला लगे और टंगडी मोटी लगे,