जब सुलझाने बैठे तो और उलझ गए न चाहकर भी हम... अपने इस किरदार को बुरा समझ बैठे शायद कुछ... तरंगे बार-बार हिलोरें ले रहीं वक़्त को कुछ अनकहा सा पैग़ाम दे रहीं कई कोशिशें की हमनें उसे पड़ने पर शायद, हम पड़ न सके कुछ अल्फाज़ सुलझे थे और कुछ अल्फाज़ उलझे वक़्त के इस सफर मे... अपना एक अलग सा किरदार लिए थे ©Hymn # feelings #bedtime