जब राम बन के तुम रावण पर तीर चलाते हो, ठीक ठीक बताओ तनिक ना घबराते हो, कभी झाँक देखो अपने अन्दर, क्या राम वहाँ तुम पाते हो, जब राम नहीं हो तुम खुद में, फिर रावण को क्यूँ जलाते हो।। #अंकित सारस्वत# #dushhera