#OpenPoetry जलने लगेंगे मुझसे ये इंसान वग़ैरा मैं इसलिए होता नहीं धनवान वग़ैरा इंसान की ज़बान के आगे ये कुछ नहीं चाकू, छुरी, कुल्हारी, नमकदान वग़ैरा पहले वह मेरी जान थी मैं उसका जान था अब उससे कोई जान ना पहचान वग़ैरा अंग्रेज़ी बीट सुनती है वह यूट्यूब पे मैं घर पे पढ़ता रहता हूं गोदान वग़ैरा मैं इसलिए भी पयार, मोहब्बत से दूर हूं मुझसे नहीं उतरते ये एहसान वग़ैरा धरती का मैं सपूत हूं सब मेरे दोस्त हैं अमरीका, चीन, कोरिया, ईरान वग़ैरा #Ghazal #OpenPoetry latest Ghazal by #SyedJafferImam #UrduPoetry #NojotHindi #NojotUrdu #Poetry