"सब दिन होत न एक समाना राजा रामचन्द्र जी एक दिन वनवास को चले हैं दशरथ तजि दिहिन प्राना राजा हरिश्चंद्र एक दिन कंचन भरे खजाना एक दिन धरे हैं मरघट कैं बाना एक दिन अर्जुन महाभारत में जीते इंद्र समाना जाके गोकुल में लूटे वही धनुष वहि बाना एक दिन गोंदिया में खेलत खात बालक भयउ सयाना, एक दिन जायके चिता में जलगेउ धुंवा उठत आसमाना" _R.V S.