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दूर से सजदा कर के ही रस्म ए वफ़ा निभाई मैंने! त



दूर से सजदा कर के ही रस्म ए वफ़ा निभाई मैंने! 
तेरे नज़र ए इनायत से इक दुनिया थी सजायी मैंने! 
किस बात से डर के तू अब आंखें भी चुराने लगी है? 
तुझे पाने की तो कभी उम्मीद तक नहीं लगायी मैंने!

©Shubhro K
  #lasthope
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Shubhro K

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