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ओ भिखमंगे, अरे पराजित, ओ मजलूम, अरे चिरदोहित, तू अ

ओ भिखमंगे, अरे पराजित, ओ मजलूम, अरे चिरदोहित,
तू अखंड भंडार शक्ति का ,जाग अरे निंद्रा सम्मोहित!
प्राणों को तड़पाने वाली हूं हुंकारों से जल थल भर दे, अंगारों के अंबारो में अपना ज्वलित परिता धर दे। #virendra
ओ भिखमंगे, अरे पराजित, ओ मजलूम, अरे चिरदोहित,
तू अखंड भंडार शक्ति का ,जाग अरे निंद्रा सम्मोहित!
प्राणों को तड़पाने वाली हूं हुंकारों से जल थल भर दे, अंगारों के अंबारो में अपना ज्वलित परिता धर दे। #virendra