डरा हुआ था एक परींदा , पर उसके तुटे थे रोता रहा रातभर शायद अपने ही कुछ झुठे थे . . . नमक लगाता रहा घावपर कुछ जखम भर गये थे हौसलो से उडा था शायद इरादे तो मर गये थे . . . बनाकर खुद्द को ढाल मोहब्बत को वो मिलाता रहा जल गया सब पन्ने की तरह फिरभी याद सबको आता रहा . . . #काकडे #परींदा