गुजरति हवाए कुछ गुन गुना रही हे गीत किसी के प्यार के सुना रही हे रुख बद्ल्ती हवाए कुछ केह रही हे यादो कि भिनी खुश्बु फेला रही हे कहि अनकही दास्ता हे ये... किसी के अधुरे इश्क कि मेहफिल सजा रही हे....