बाहर है सन्नाटा मगर, अन्दर शौर बहुत है। मन में है तन्हाईयां मगर, दुनिया में भीड़ बहुत है। बुझे-बुझे से है चेहरे मगर, शहरों में रोर बहुत है, दिल है दीवाना मगर, यहां चितचोर बहुत है। --------------- आनन्द ©आनन्द #आनन्द_गाजियाबादी #Anand_Ghaziabadi #बहुत_है