किसी के इन्तजार में आज भी आँखे टिकाये बैठा हूँ कितना पागल हूँ उसके लिए दुनिया भुलाये बैठा हूँ अजीब चाहत है उसकी तुम्हें बतलाये हम क्या कितना बदनसीब हूँ मैं अपने आप को भुलाये बैठा हूँ दिल में उसके लिए दर्द पुराना वाला आज भी वहीं है कमबख्त दर्द इतना है तुझे अपने पास भुलाये बैठा हूँ दिल मुतमईन होने लगता है इस तरह जैसे मानों सारी दुनिया बस तुम्हारे लिए ही तो भुलाये बैठा हूँ क्या करूँ इस कमबख्त दिल का मानने को तैयार नहीं इसीलिए तो अपनो को तुम्हारे लिए भुलाये बैठा हूँ किसी के इन्तजार में आज भी आँखे टिकाये बैठा हूँ कितना पागल हूँ उसके लिए दुनिया भुलाये बैठा हूँ अजीब चाहत है उसकी तुम्हें बतलाये हम क्या कितना बदनसीब हूँ मैं अपने आप को भुलाये बैठा हूँ दिल में उसके लिए दर्द पुराना वाला आज भी वहीं है कमबख्त दर्द इतना है तुझे अपने पास भुलाये बैठा हूँ