हम में और परीक्षा में फासले हैं बहुत। कोविड 19 के सताए हैं बहुत।। मई के महीने की परीक्षा, बढ़ते-बढ़ते सितम्बर गई। खौफ़ से अब तो तारीख मिल रही हैं बहुत।। हर महीने नई तारीख मिल रही है बच्चों को। परीक्षा का दूर-दूर तक सार नहीं, फिर भी उम्मीद है बहुत।। बच्चों को लग रहा है साल बर्बाद हो गया। डी.यू. तो ओ.बी.ई. के चक्कर में है बहुत।। नए सत्र की शुरूआत अब तो नवम्बर हो गई। परीक्षा में के लिए पढेंगे क्या? लिखेंगे क्या? और लिखें या बहुत।। जानना चाहता है मोहन आखिर परीक्षा से दूरियाँ क्यों होती जा रही हैं। शिक्षा का तो सरकार व्यापार करती जा रही है बहुत।। #परीक्षा_और_हम