ये काम उसका है तो फ़िर उसका है तीरगी-ए-मुकद्दर में कसूर किसका है पाया चारपाई का गर्दिश में मिरि बड़े ही सलीके से बे-आवाज़ खिसका है ज़िन्दगी में कभी कभी आपका वक़्त खराब होते ही भरोसे का पाया दग़ा दे जाता है, क्या कर सकते हैं दुनिया है साहिब... "तीर,तुक्का,रफ़ुगिरी और तुरपाई में ही रहे ज़िन्दगी हम तेरे कर्ज़ की भरपाई में ही रहे यूँ तो फैलाया ख़ुद को दुनिया मे बहुत सामने बुज़ुर्गों के सिमटे चारपाई में ही रहे.."