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मैं शाख से टूटा पत्ता हूं मुझे एक दिन मिट्टी में म

मैं शाख से टूटा पत्ता हूं मुझे एक दिन मिट्टी में मिल जाना है
मैंने ये सोच कर किसी से रिश्ते नहीं बनाए की एक दिन किसी हवा के झोंके ने मुझे उड़ा ले जाना है
टूटने के डर से मैं कभी किसी से जुड़ ही नहीं पाया
हसने के बाद रोना पढ़ता है इस डर में मुझे याद भी नहीं मैं आखरी बार कब मुस्कुराया
🍁🍁🍁🍁🍁🍁
अब इस आखरी पल में याद आ रहा की
गमों के डर से हमने हर खुशी भी गवाई है
छोटी सी बात थी मगर अब समझ आई है
मौत के डर से जो जिन्दगी मिली कभी खुलकर नहीं जीया
कुछ गलत ना हो जाए इस डर में कुछ भी नहीं किया
🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂🍂

अच्छा होगा जिस पल जो मिला हमे स्वीकार करें
कल कुछ बुरा ना हो सोच कर अपना आज ना बेकार करें

©Nikhil kumar #nik_shayari #Life #lifeexperience
मैं शाख से टूटा पत्ता हूं मुझे एक दिन मिट्टी में मिल जाना है
मैंने ये सोच कर किसी से रिश्ते नहीं बनाए की एक दिन किसी हवा के झोंके ने मुझे उड़ा ले जाना है
टूटने के डर से मैं कभी किसी से जुड़ ही नहीं पाया
हसने के बाद रोना पढ़ता है इस डर में मुझे याद भी नहीं मैं आखरी बार कब मुस्कुराया
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अब इस आखरी पल में याद आ रहा की
गमों के डर से हमने हर खुशी भी गवाई है
छोटी सी बात थी मगर अब समझ आई है
मौत के डर से जो जिन्दगी मिली कभी खुलकर नहीं जीया
कुछ गलत ना हो जाए इस डर में कुछ भी नहीं किया
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अच्छा होगा जिस पल जो मिला हमे स्वीकार करें
कल कुछ बुरा ना हो सोच कर अपना आज ना बेकार करें

©Nikhil kumar #nik_shayari #Life #lifeexperience
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Nikhil Kumar

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