कुछ पुराने ख़त मिले हैं, आज मुझे किताबों में। देख के उनको याद आया, कोई तो है मेरे ख़्वाबों में। सवाल बनकर बसा रहता था, अक्सर जो मेरी यादों में, आज मिला मुझको कहीं, वो मुद्दतों बाद जवाबों में। गलती मेरी भी थी कहीं, जो मैं ही उसको भूल गया। रह रह कर वो याद आया, मुझे मिले हर अजाबों में। कुछ तो कशिश थी उसकी भी, जिसने मुझे बाँधे रखा। वरना मुझको याद कहाँ था, मिला था कोई राहों में। खनक उसकी बातों की, आज भी कानों में गूँजती है। कोई तो आहट रहती है, खामोशी में शोर शराबों में। बोली उसकी इतनी मधुर, जैसे शहद या चासनी। जैसे कोई मिठास घुल गई, आज मेरी साँसों में। कुछ पुराने ख़त मिले हैं, आज मुझे किताबों में। देख के उनको याद आया, कोई तो है मेरे ख़्वाबों में। ♥️ Challenge-534 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।