आज फिर से एक बार यह लिखने की ज़रूरत लग रही है !! भीड़ कर रही है कत्ल सड़क पे सरकार इससे सहमत लग रही है !! सियासी सूरमाओं ने इस कदर मज़हबी चरस घोल दी हवा में, मोहब्बत का नशा हुआ ख़त्म, और नफ़रती नशे की नई लत लग रही है !! धीरे धीरे तुमसे तुम्हारी, मासूमियत तक छीन ली गई है ज़रा देखो खुद को, अब तुम्हें अमन की बातें भी ग़लत लग रही हैं !! तुमने चुन लिए अपने अपने रहनुमा, पहन लिए हरे और केसरिये चश्मे मगर इन चश्मों से देखो कितनी फीखी तिरंगे की रंगत लग रही है !! #StopLynching