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क्या लिखूँ कुछ भी समझ आता नहीं है पवन का साया भी म

क्या लिखूँ कुछ भी समझ आता नहीं है
पवन का साया भी मडराता नहीं है
शीश पे चढ़ता किरण ले भास्कर अब 
तपिश के मारे लिखा जाता नहीं है | #भीषण गर्मी
क्या लिखूँ कुछ भी समझ आता नहीं है
पवन का साया भी मडराता नहीं है
शीश पे चढ़ता किरण ले भास्कर अब 
तपिश के मारे लिखा जाता नहीं है | #भीषण गर्मी