ए ग़ालिब तूने लिखी जो हकीकत शब्दों में, उसकी आज मुझ पर आजमाइश हो गई... बड़ी अजीब है बंदिशें मोहब्बत की, न उसने कैद में रखा, न हम फरार हुए। जब रहना ही है तन्हां तो रोना कैसा जो कभी अपना था ही नहीं फिर उसे खोना कैसा। निगाहों की बातें निगाहों से कर लिया करो मोहब्बत को नज़र लगते देर नहीं लगती। कोन कहता है मुझसे वफा कीजिये आइये, दिल लगाइये और तबाह कीजिये। इस छोटी सी जिंदगी में रखा क्या है इश्क अगर बुरा है फिर अच्छा क्या है... ©friendship life #galibsahab