बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा बोल कि जाँ अब तक तेरी है देख कि आहन-गर की दुकाँ में तुंद हैं शोले सुर्ख़ है आहन खुलने लगे क़ुफ़्लों के दहाने फैला हर इक ज़ंजीर का दामन बोल ये थोड़ा वक़्त बहुत है जिस्म ओ ज़बाँ की मौत से पहले बोल कि सच ज़िंदा है अब तक बोल जो कुछ कहना है कह ले सुतवाँ जिस्म- कसा हुआ शरीर, आहन-गर- लौहकार, सुर्ख़- लाल, आहन- लोहा, क़ुफ़्लों- बंद #faiz #freedom #rampujari बोल कि लब आज़ाद हैं तेरे बोल ज़बाँ अब तक तेरी है तेरा सुत्वाँ जिस्म है तेरा बोल कि जाँ अब तक तेरी है