कुछ कविताऐं मैने ऐसी लिखीं, जिनको कभी सुना ना सके। Read Caption कुछ कविताऐं मैने ऐसी लिखीं, जिनको कभी सुना ना सके। लिखीं तो खूब लिखीं सफे पर, लेकिन किसी किस्से को दफना ना सके। दर्द घर के ही देते गए, बाहर वालों को सुना ना सके। किस्सा लिखते गए, दिल से मिटाते गए, वो हमे गुस्सैल कहते गए।