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رہنے کو سدا دہر میں آتا نہیں کوئی تم جیسے گئے ایس

رہنے کو سدا دہر میں آتا نہیں کوئی 
تم جیسے گئے ایسے بھی جاتا نہیں
کیفی اعظمی

रहने को सदा दह्र में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
कैफ़ी आज़मी *दह्र - जग, दुनिया 
دوستو آداب۔ 
مشق کے لیے آج کا لفظ ہے- دہر 
दोस्तो आदाब 
मश्क़ के लिए आज का लफ़्ज़ है - दह्र
#dahr #challenge #yqbhaijan
رہنے کو سدا دہر میں آتا نہیں کوئی 
تم جیسے گئے ایسے بھی جاتا نہیں
کیفی اعظمی

रहने को सदा दह्र में आता नहीं कोई
तुम जैसे गए ऐसे भी जाता नहीं कोई
कैफ़ी आज़मी *दह्र - जग, दुनिया 
دوستو آداب۔ 
مشق کے لیے آج کا لفظ ہے- دہر 
दोस्तो आदाब 
मश्क़ के लिए आज का लफ़्ज़ है - दह्र
#dahr #challenge #yqbhaijan