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कहने को रब्त है मेरी दो चार सौ से. मुश्किल है वक्

कहने को रब्त है मेरी दो चार सौ से.

मुश्किल है वक्त और कोई साथ भी नहीं . 

     #अखलाक साहिर #footsteps #AkhlaqueSahir
कहने को रब्त है मेरी दो चार सौ से.

मुश्किल है वक्त और कोई साथ भी नहीं . 

     #अखलाक साहिर #footsteps #AkhlaqueSahir