बखूबी वाकिफ थे तेरी हर चाल से, तेरे कहने पर हर कदम सीधे चले हम हर बाजी तेरे नाम करते चले गए, शह समझ कर मात खाते रहे हम हार जीते के दाव-पेंच से बेखबर जिंदगी की शतरंज में डटे रहे हम बेघर होकर भी घर नहीं बदला हमने खेल ना खेल सके, पर मोहरा जरूर बने हम महज मामूली सा प्यादा बन कर रहे, मात खा कर भी, पीछे नही हटे हम !! ©Manku Allahabadi बखूबी वाकिफ थे तेरी हर चाल से, तेरे कहने पर हर कदम सीधे चले हम हर बाजी तेरे नाम करते चले गए, शह समझ कर मात खाते रहे हम हार जीते के दाव-पेंच से बेखबर जिंदगी की शतरंज में डटे रहे हम