मैं अगर किसी ओर से मुहब्बत कर लूँ तो ऐतराज़ मत करना, सारे रास्तों को फिर से घर कर दूँ तो ऐतराज़ मत करना, तेरी यादें मिटा दूँ दिल से अगर,नयी यादों को जगह दे दूँ तो मेरे दिल मैं फिर से अपनी यादों का घर-बार मत करना, तू जब तक बोली सह गया मैं,अब हद है बेगरती की तेरी तेरी पीठ के पीछे बुरा कहूँ,तो दिल नागवार मत करना, तेरी अदाओ को तो कब का भूल चुका हूँ ऐ हमदम तेरी यादों को मैं बेकार कहूँ तो ऐतराज़ मत करना, तेरी हर ख़ता, तेरी हर सज़ा है छपी हुई मेरी रूह पे है तेरी याद को,हर बात को,तेरे साथ को,हर रात को कह दूं अगर मैं भूल से एक हादसा, मेरी बात का,मेरी ज़ात का ऐतबार मत करना यह सच भी हो अगर तो भी ऐतराज़ मत करना। #Aitraz#Bewafa#Ghazal#Poetry#Shayri