जब आई हाथ में कलम तब याद आये सारे ज़ख़्म थोडी़ ख़ुशी तो थोड़ा गम यही ज़िन्दगी जी रहे हैं हम ! शिवानी बिष्ट✍ ©SHBIST यही ज़िन्दगी जी रहे हैं हम ! . . . . . . .