अच्छा और खराब, या सही और गलत में अंतर वैसा ही है जैसे दिन और रात में होता है। कोई अपना जनहितैषी कार्य दिन की रोशनी के समान प्रकाशवान करते हुये करता है। तो कोई जनहितैषी कार्यो पर रात की कालिमा से ढँक देना चाहता है। ऐसा होना सिर्फ और सिर्फ श्रेय लेना या दूसरे के यश कीर्ति से जलकर गरीब मजबूर हितार्थ कार्यों को भी अपने बल अधिकारों के दुरूपयोग से दिशाहीन कर देना भी अनुचित नहीं समझता। बहुत ही दुखद कोरोना वायरस महामारी से मरने वाले सहानुभूति के पात्र तो है ही उनसे ज्यादा लोग पूरे विश्व में भुखमरी से मरेगे ऐसी आशंका जताई जा रही है। इस महामारी ने साबित कर दिया मानव निर्मित बिलासिता के सोपान कहीं काम नहीं आयेगे । सिर्फ और सिर्फ प्रकृति प्रदत्त खाद्यान्न ही मानवता को जीवित रखने के लिये जरूरी है। पूरे विश्व में जो दौर चल रहा उसमें जरूरी हो जाता है मानवता को जीवित रखने के लिये कम से कम एक वक्त का भोजन मिलता रहे । फिर चाहे घर घर हो या घर से दूर कहीं फंसें हो। सामाजिक संगठन , सेवा संगठन, प्रशासन , सरकारें करें । मानवता के हितार्थ किये जाने वाले निस्वार्थ निष्काम कार्यों को संबल संरक्षण प्रदान किया जायें। किसी संगठन या शासन के कार्यों की समीक्षायें जॉच पड़ताल करना जरूरी है मगर जाँच की आड़ लेकर जनहितैषी कार्यो को रोक देना, समाजसेवियों के मनोबल को कमजोर करके खत्म करता है। सत्य इसलिये नहीं हारता कि सत्य कमजोर रहा बल्कि सत्य के साथ समझदार सक्षम लोग साथ खड़े नहीं होते। लोगों की निजता हर उस मानवता के कार्य को अवरुद्ध कर देती है जिसे समाज के संवेदनशील निस्वार्थ सोच के लोग शुरू करते है। मानवसेवा को सहयोग संरक्षण दिये जाने की जरूरत होती है न कि दॉवपेंच लड़ाने की मानसिकता रखनी चाहिए। बस एक दो शेर से विचारों को विराम देता हूँ झूठ वाले कहीं से कहीं से बढ़ गये एक मैं था कि सच बोलता रह गया आँधियों के इरादे तो अच्छे न थे कैसे दिया जलता हुआ रह गया 🇮🇳 जय भारत 🇮🇳 #Help🙏 #union✨