कमी ढूढते हो मेरी शख्शियत में हर वक़्त क्या पूरा जमाना अब शरीफ हो गया कल मिला तो था वफादारों से कब से वफादारी बद्दुआ में शरीक़ हो गया। और अगर खुश हो तो बेशक बुरा कह लो मुझे बड़ी खुशी से तौल दूं तेरी अच्छाई मेरे गुनाहों से ये मेरे गुनाहों का भी तारीफ हो गया।। मेरे अच्छे गुनाह