नारी तुझ से नूर, नज़ाकत। ममता,प्रेम तुझी पे झांकत वंदन नैन,नक्श को तेरे। छमता मन, बदन को घेरे।। आँगन की तू छोटी चिड़िया। बनती बाबुल लगती गुड़िया।। शंयम से तुम लेते फेरे, नारी... माँ बना कर पूजे हम तो। साथ जो तेरा भूले गम को।। लफ्ज़ नहीं कहने को मेरे, नारी... तुझ से मान मर्यादा घर का। मुकुट तुम्ही हो मेरे शिर का।। पूजे तुझको साँझ सवेरे, नारी... बाबुल के बांहों ने तुझको पाला। साजन के तूने सम्मान उछाला।। बसा दिया संसार सभी के, तेरा न कोई ठोस बसेरे, नारी तुझ से नूर, नज़ाकत। ममता,प्रेम तुझी पे झाकत।। वंदन नैन, नक्स को तेरे। छमता मन, बदन को घेरे।। #surendra shyam#$# #women