मैं-मैं करता मैं नहीं मरता मैं मरे तो तू होए मैं से मैं निकाल दे रब्बा कब तक मैं को धोएं दाग ये गहरा चूनर झीनी देख-देख मन रोए युग बीते मैं से तू बिछड़ा कब तक मैं में सोएं मैं चलूँ तो भूलूँ रस्ता तू ले चले तो फिर न खोएं कहे मुसाफ़िर जन्मों से भटका मुझे राह सुझा दे कोए #wingsofpoetry #मैं #अरदास