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मैं गुजरा करता था, उसकी गलियों से रोजाना, वो मुझे

मैं गुजरा करता था, उसकी गलियों से रोजाना, 
वो मुझे रोककर हंसकर पूछती, किसके लिए आता है रोजाना,
और में मन ही मन मुस्करा कर बोलता, अरे पगली तेरे लिए
मैं गुजरा करता था, उसकी गलियों से रोजाना, 
वो मुझे रोककर हंसकर पूछती, किसके लिए आता है रोजाना,
और में मन ही मन मुस्करा कर बोलता, अरे पगली तेरे लिए