सुनने सुनाने की कश्मकश दिल-ए_तमन्ना से जारी है, सपने आँखों मे मेरे आँसुओं से फिर भी भारी है, जख्म हजारों साथ लिए मरहम को अक्सर खोया है, भीड़ मे अक्सर अपनो की देख ये सपना रोया है, चाँद की आगोश में खामोश होकर एक धुन गुनगुनाता हूँ, घुलके अपने पतझड़ में अक्सर सावन को भूल जाता हूँ, अब ऐसा सिमटा हूँ खुदमे, अक्सर खुदसे खुदको कुबूल जाता हूँ, #निशान_बाकी_है #geet #gungunana #ehsas #ehmiyat