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शायरों की महफ़िल में जब तीर माशूकाओं पे चलने लगे ।

शायरों की महफ़िल में जब तीर माशूकाओं पे चलने लगे ।

 हम भी आशिक थे क्या करते, नई मोहब्बते ऐ दरिया के ।।

 मेरे नाम लेने से ना हो जाए वो बदनाम, इस भरी महफ़िल में।

 दिल की बात बताते तो रहे, लेकिन नाम उसका छुपाते भी रहे ।

इस तरह यारी भी निभाते रहे और खुद्दारी भी ।।

©Dr. Arun Kumar
  #Likho #mysayri