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मैं नही जानता मेरे प्रेम की चरम क्या है, शायद चरम

मैं नही जानता मेरे प्रेम की चरम क्या है, शायद चरम जैसा

 कुछ नही है, ये तो ऋतुओं के जैसा है, लौटने पलटने और

 वापस आने जैसा। जितने दिन मैं तुमसे रुखेपन से पेश

 आऊँ तुम पतझड़ समझना लेकिन इस विश्वास के साथ कि
 
बहार आएगी। #love
मैं नही जानता मेरे प्रेम की चरम क्या है, शायद चरम जैसा

 कुछ नही है, ये तो ऋतुओं के जैसा है, लौटने पलटने और

 वापस आने जैसा। जितने दिन मैं तुमसे रुखेपन से पेश

 आऊँ तुम पतझड़ समझना लेकिन इस विश्वास के साथ कि
 
बहार आएगी। #love