#डर उफ्फ.. !! ये कालीे रात और चारों तरफ सन्नाटा , कुकुर की रोने की आवाजें बरगद के पेडो़ पर हलचल तन्हाई की आगोश में मैं सन्नाटे और डर नस नस मे पैदा हुआ कापंती जोरों से बदन कैसे कटेगी ये डरवाना रातें और आज तो कमबख्त रात भी बहुत लम्बी है !! गुम हो गई मां द्वारा प्रदत युक्तियां हर एक मंत्र पिता का दिया हुआ तन - मन कांप रहें हैं जोरों से ये आवाजें खिड़कियों की डोलने की रह -रह कर और भी डराती है और आज तो रात भी बहुत लम्बी है !!! आज बिजली भी गुल हो गई जाडे़ की सर्द मौसम में पसीने से तर बतर तन और बादल को चिखने की आवाजें बहुत डर लग रहा है मुझे पर कमबख्त आज तो रात भी बहुत लम्बी है !!! ----एस के सिद्धार्थ