#पैसा नही था, खाने को। #न रुपया, घर जाने को। #लोक डाउन में फंसे हुए है, #ये तो एक बहाना था। #जिंदगी की जंग में, #मौत का निशाना था। #जिंदगी को लेकर कल, #शराब के लिए कतार में थे, #आज पी रहै है,धड़ल्ले से। #मौत का गम तो केवल वहम था, #नशा अब जिंदगी से बड़ा हो गया। #@स्नेहिल #मुकेश #कुमार #व्यास #स्नेहिल Mamta Chandra