वो रूठे है इस कदर, मनाये कैसे, जज्बात अपने दिल के दिखाए कैसे, नर्म एहसासों की सिहरन कह रही पास आ जाओ, सिमट जाओ मुझमें और दिल में समां जाओ.. देखो लौट आओ और ना रूठो हमसे, बस रह गया है तुम्हारा इन्तेजार कब से, इतनी भी क्या तकरार हमसे, इन्तेजार में तेरे दिल बेक़रार कब से.. तुम लड़ना मुझसे, झगड़ना मुझसे, पर कभी ना दूर रहना मुझसे, देखो वो सूरज डूब रहा चांदनी लाकर, फिर ढलती शाम में बढ़ रहा खुमार कब से.. मेरे दिल की ख़ामोशी मेरी वफायें समझों , अब क्या कहूँ अपने दिल की सदायें समझों, वो रूठे है इस कदर , मनाये कैसे, जज्बात अपने दिल के दिखाए कैसे..