लुटे तुम मौलवी से तो हमें पंडित ने लूटा है चलें हम साथ मिल कर हाल अपना एक जैसा है मुहम्मद कृष्ण या जीसस कहां लड़वाते हैं हम को सभी चरवाहे हैं, पूछो तो किस का किस से झगड़ा है अज़ल ही से रहे हैं आदमी के सिर्फ़ दो मजहब जिसे लूटा गया है और इक वो जिस ने लूटा है ये जन्नत किस तरफ़ है मौलवी से पूछ कर देखो ये बातें स्वर्ग की बस पादरी, पंडित का धोखा है.