आज अचानक यूँही जब जिंदगी की किताब को पलट कर देखा मैने वहां हर एक सफहा पर उस शख्स के तमाम तजुर्बो को लिखा देखा मैंने बड़ी ही सलाहियत से हर तजुर्बे का हर्फ दर हर्फ जिक्र मालूम पड़ता है वहां मुझको हर तजुर्बे को सबक मानिंद जानकर सफहा दर सफहा उसकी शख्सियत को निखरता देखा मैंने जिंदगी की वो हर अगली सहर उस शख्स को नज्र-ए-मसाइल कर जाया करती है शाम किसी मुदर्रिस के मानिंद उसके सब्र की इंतहा का अंदाजा लगाया करती है नींद कि जिसकी ख्वाहिश सारा दिन जाग कर किया करती है आँखें उस शख्स की वो नींद भी नाशाद उस रुह से राब्ता कायम कर मयस्सर रात को बेबसी दे जाया करती है बस अब यही सिलसिला हर रोज ही वो खुद मे दोहराया करता है आफताब के आते ही नए किसी तजुर्बे की हसरत लिए अपने बसेरे से निकल जाया करता है तमाम सबक जिन्हें उस शख्स को हर रोज बड़ी ही शिद्द्त से दिया करती है ये जिंदगी उन तजुर्बो की जमात मे शामिल हर तजुर्बा जैसे सफर-ए जिंदगी के इल्म का एक मुकाम बन जाया करता है ।। #life