सवाल लिख पर्चियों में थमाता गया उसने पूछा वो ही सब बताता गया रात की रेत पर अपनी उँगलियों से वो मेरा नाम लिख लिख कर मिटाता गया गुलों से ली शोख़ियाँ सितारों से चमक जुगनू इस तरह ख़ुद को जलाता गया जब ख़त्म हो गई मेरे हिस्से की मैकशी वो अपना जाम मेरे जाम में मिलाता गया सिमटी रही उसकी आबरू मेरी बाहों में दफ़्फ़तन मै भी उसमें समाता गया उसकी हर बात मान जाता था सूरज मगरूर रात भर चाँद को जगाता गया उसने पूछ लिया जो जन्नत का रास्ता खुदा दिल काट काट के बिछाता गया #parchi #vatsa #dsvatsa #illiteratepoet #yqhindi #hindishayari #hindipoetry #paidstory